Shodashi Secrets
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श्री-चक्रं शरणं व्रजामि सततं सर्वेष्ट-सिद्धि-प्रदम् ॥१॥
वास्तव में यह साधना जीवन की एक ऐसी अनोखी साधना है, जिसे व्यक्ति को निरन्तर, बार-बार सम्पन्न करना चाहिए और इसको सम्पन्न करने के लिए वैसे तो किसी विशेष मुहूर्त की आवश्यकता नहीं है फिर भी पांच दिवस इस साधना के लिए विशेष बताये गये हैं—
पञ्चबाणधनुर्बाणपाशाङ्कुशधरां शुभाम् ।
The Sri Chakra is usually a diagram formed from nine triangles that encompass and emit out of the central level.
श्री-चक्रं शरणं व्रजामि सततं सर्वेष्ट-सिद्धि-प्रदम् ॥१२॥
चतुराज्ञाकोशभूतां नौमि श्रीत्रिपुरामहम् ॥१२॥
षोडशी महाविद्या प्रत्येक प्रकार की मनोकामनाओं को पूर्ण करने में समर्थ हैं। मुख्यतः सुंदरता तथा यौवन से घनिष्ठ सम्बन्ध होने के परिणामस्वरूप मोहित कार्य और यौवन स्थाई रखने हेतु इनकी साधना अति उत्तम मानी जाती हैं। त्रिपुर सुंदरी महाविद्या संपत्ति, समृद्धि दात्री, “श्री शक्ति” के read more नाम से भी जानी जाती है। इन्हीं देवी की आराधना कर कमला नाम से विख्यात दसवीं महाविद्या धन, सुख तथा समृद्धि की देवी महालक्ष्मी है। षोडशी देवी का घनिष्ठ सम्बन्ध अलौकिक शक्तियों से हैं जोकि समस्त प्रकार की दिव्य, अलौकिक तंत्र तथा मंत्र शक्तियों की देवी अधिष्ठात्री मानी जाती हैं। तंत्रो में उल्लेखित मारण, मोहन, वशीकरण, उच्चाटन, स्तम्भन इत्यादि जादुई शक्ति षोडशी देवी की कृपा के बिना पूर्ण नहीं होती हैं।- षोडशी महाविद्या
Chanting the Mahavidya Shodashi Mantra creates a spiritual protect all over devotees, guarding them from negativity and unsafe influences. This mantra functions as being a source of protection, aiding people today retain a good setting absolutely free from psychological and spiritual disturbances.
This Sadhna evokes countless rewards for all spherical economic prosperity and stability. Growth of small business, title and fame, blesses with lengthy and prosperous married lifestyle (Shodashi Mahavidya). The final results are realised promptly after the accomplishment of your Sadhna.
नाना-मन्त्र-रहस्य-विद्भिरखिलैरन्वासितं योगिभिः
लक्ष्मी-वाग-गजादिभिः कर-लसत्-पाशासि-घण्टादिभिः
These gatherings are not simply about person spirituality but in addition about reinforcing the communal bonds by way of shared activities.
देवीं कुलकलोल्लोलप्रोल्लसन्तीं शिवां पराम् ॥१०॥
॥ अथ त्रिपुरसुन्दर्याद्वादशश्लोकीस्तुतिः ॥